रौनक दिल मे जिनसे रहती थी,
वो आजकल कुछ नही कहती,
जो कभी सब कुछ बेबाक होकर कहती थी,
खता है हमारी भी, वक़्त अकेला दोषी नही,
बड़ी हसमुख है वो, यू ही तो नाराज होती नही,
कोई कहे उससे कि,
कितनी याद आती है उसकी यादें,
वो जूस की चुस्कियां,
वो बारिशो में भीगना,
वो हर दूसरी बात पर,
तुम्हारा एक आंख मीचना,
सब याद आता है मुझे...
याद है वो हरे सूट में मंदिर जाना,
और तस्वीरों का ढेर लेकर आना,
याद है वो पाव भाजी और छोटी छोटी इडलियां,
याद आती है जब तुम्हारी तो,
आज भी उड़ती है मन मे तितलियां...
जानता हूँ तुम उदास हो आजकल दुनिया से,
और मैं भी खड़ा साथ नही,
पर दिल से पूछना एक बार,
कि दिल मेरा भी कितना तड़पता है,
तुम्हारे लिए धड़कता था,
तुम्हारे लिए धड़कता है,
गर ना हो हँसी तुम्हारे चेहरे पर,
दिन पूरा अधूरा सा लगता है,
सुन लू तुम्हारी आवाज अगर,
तो सब कुछ पूरा लगता है....
Written by: Yogesh Jangid
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