टूटा सा हूँ, बिखरा सा हूँ,
में एक जगह तनिक ठहरा सा हूँ,
तू तो कहती थी कि, मुझ जैसा कभी कोई होगा नही,
वादा था ना तेरा तो, की तू दूर मुझसे होगा नही,
तो क्या मैं बदल कर बेरंग हो गया,
या ये सारा जहां मुझसे ज्यादा खुशरंग हो गया,
तू तो सिर्फ मेरा था ना,
फिर क्यों किसी और का एक अभिन्न अंग हो गया।
टूटा सा हूँ, बिखरा सा हूँ,
में एक जगह तनिक ठहरा सा हूँ।।
जो किस्सा तू तमाम कर गया बन्दगी का,
तू तो छोड़ गया जैसे पुराना खिलौना कोई,
मिल गया तुझे जैसे नया बिछोना कोई,
मैं पुराना ही सही, मगर जज़्बातों से भरा सा हूँ,
टूटा सा हूँ, बिखरा सा हूँ,
में एक जगह तनिक ठहरा सा हूँ,
जब सूख गए अश्क़ रोते रोते,
सम्भाला जब होश हमने तुझे खोते खोते,
तब दो झुर्रियों से घिरे चेहरो से सामना हुआ,
जब भी गिरा हूँ, उन्ही का तो थामना हुआ,
हाँ वो थकी हुई सी माँ, पापा खड़े है हारे से,
लेकिन मैं जब भी हारा हूँ, वो ही तो है सहारे से,
तुझे जाना है तो जा सौ दफा,
जान ली आज हमने भी कीमत-ए-वफ़ा,
तुझसे कहीं ज्यादा मेरा जहान है,
मां मेरी धरती, पिता आसमान है,
अब में टूटा सा नही हूँ, बिखरा सा नही हूँ,
एक जगह अब ठहरा सा नही हूँ।
Other Posts You May Like:
1. 13 Most Shameless Statements by Indian POliticians
3. 10 Obvious Reasons to go for Redmi Note 4 instead others in 15,000 Budget