By Yogesh Jangid. An effort to inspire, to help other find inner themselves. Keep Sharing Happiness.
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Tuesday, 25 February 2014
Sunday, 23 February 2014
Wednesday, 19 February 2014
मुट्ठी भर मेढकों से घबराना नहीं
करते सुना , वे उसी के बारे में बात कर रहे थे .
मोहन अपनी प्रशंशा सुनने के लिए उन्हें बिना बताये धीरे -धीरे उनके पीछे चलने लगा , पर उसने उनकी बात सुनी तो पाया कि वे उसकी बुराई कर रहे थे , कोई कह रहा था कि , “ मोहन घमण्डी है .” , तो कोई कह रहा था कि ,
”सब जानते हैं वो अच्छा होने का दिखावा करता है …”
मोहन ने इससे पहले सिर्फ अपनी प्रशंशा सुनी थी पर इस घटना का उसके दिमाग पर बहुत बुरा असर पड़ा और अब वह जब भी कुछ लोगों को बाते करते देखता तो उसे लगता वे उसकी बुराई कर रहे हैं . यहाँ तक कि अगर कोई उसकी तारीफ़ करता तो भी उसे लगता कि उसका मजाक उड़ाया जा रहा है . धीरे -धीरे सभी ये महसूस करने लगे कि मोहन बदल गया है , और उसकी पत्नी भी अपने पति के व्यवहार में आये बदलाव से दुखी रहने लगी और एक दिन उसने पूछा ,
“ आज -कल आप इतने परेशान क्यों रहते हैं ; कृपया मुझे इसका कारण बताइये.”
मोहन ने उदास होते हुए उस दिन की बात बता दी . पत्नी को भी समझ नहीं आया कि क्या किया जाए पर तभी उसे ध्यान आया कि पास के ही एक गाँव में एक सिद्ध महात्मा आये हुए हैं , और वो बोली ,
“स्वामी , मुझे पता चला है कि पड़ोस के गाँव में एक पहुंचे हुए संत आये हैं ।चलिये हम उनसे कोई समाधान पूछते हैं .”
अगले दिन वे महात्मा जी के शिविर में पहुंचे . मोहन ने सारी घटना बतायी और बोला महाराज उस दिन के बाद से सभी मेरी बुराई और झूठी प्रशंशा करते हैं , कृपया मुझे बताइये कि मैं वापस अपनी साख कैसे
बना सकता हूँ ! !”
महात्मा मोहन कि समस्या समझ चुके थे .
“ पुत्र तुम अपनी पत्नी को घर छोड़ आओ और आज रात मेरे शिविर में ठहरो .”, महात्मा कुछ सोचते हुए बोले . मोहन ने ऐसा ही किया , पर जब रात में सोने का समय हुआ तो अचानक ही मेढ़कों के टर्र -
टर्र की आवाज आने लगी . मोहन बोला ,
“ ये क्या महाराज यहाँ इतना कोलाहल क्यों है ?”
“पुत्र , पीछे एक तालाब है , रात के वक़्त उसमे मौजूद मेढक अपना राग अलापने लगते हैं !!!”
“पर ऐसे में तो कोई यहाँ सो नहीं सकता ??,”
मोहान ने चिंता जताई।
“हाँ बेटा , पर तुम ही बताओ हम क्या कर सकते हैं , हो सके तो तुम हमारी मदद करो “,
महात्मा जी बोले .
मोहन बोला , “ ठीक है महाराज , इतना शोर सुनके लगता है इन मेढकों की संख्या हज़ारों में होगी , मैं कल ही गांव से पचास –साठ मजदूरों को लेकर आता हूँ और इन्हे पकड़ कर दूर नदी में छोड़ आता हूँ .”
और अगले दिन मोहन सुबह -सुबह मजदूरों के साथ वहाँ पंहुचा , महात्मा जी भी वहीँ खड़े सब कुछ देख रहे थे . तालाब जयादा बड़ा नहीं था , 8-10 मजदूरों ने चारों और से जाल डाला और मेढ़कों को पकड़ने लगे …थोड़ी देर की ही मेहनत में सारे मेढक पकड़ लिए गए. जब मोहन ने देखा कि कुल मिला कर 50-60
ही मेढक पकडे गए हैं तब उसने माहत्मा जी से पूछा ,
“ महाराज , कल रात तो इसमें हज़ारों मेढक थे , भला आज वे सब कहाँ चले गए , यहाँ तो बस मुट्ठी भर मेढक ही बचे हैं .”
महात्मा जी गम्भीर होते हुए बोले , “ कोई मेढक कहीं नहीं गया , तुमने कल इन्ही मेढ़कों की आवाज सुनी थी , ये मुट्ठी भर मेढक ही इतना शोर कर रहे थे कि तुम्हे लगा हज़ारों मेढक टर्र -टर्र कर रहे हों . पुत्र, इसी प्रकार जब तुमने कुछ लोगों को अपनी बुराई करते सुना तो भी तुम यही गलती कर बैठे , तुम्हे लगा कि हर कोई तुम्हारी बुराई करता है पर सच्चाई ये है कि बुराई करने वाले लोग मुठ्ठी भर मेढक के सामान ही थे. इसलिए अगली बार किसी को अपनी बुराई करते सुनना तो इतना याद रखना कि हो सकता है ये कुछ ही लोग हों जो ऐसा कर रहे हों , और इस बात को भी समझना कि भले तुम कितने ही अच्छे क्यों न हो ऐसे कुछ लोग होंगे ही होंगे जो तुम्हारी बुराई करेंगे।”
अब मोहन को अपनी गलती का अहसास हो चुका था , वह पुनः पुराना वाला मोहन बन
चुका था.
Friends, मोहन की तरह हमें भी कुछ लोगों के व्यवहार को हर किसी का व्यवहार नहीं समझ लेना चाहिए और positive frame of mind से अपनी ज़िन्दगी जीनी चाहिए। हम कुछ भी कर लें पर life में कभी ना कभी ऐसी समस्या आ ही जाती है जो रात के अँधेरे में ऐसी लगती है मानो हज़ारों मेढक कान में टर्र-टर्र कर रहे हों। पर जब दिन के उजाले में हम उसका समाधान करने का प्रयास करते हैं तो वही समस्या छोटी लगने लगती है. इसलिए हमें ऐसी situations में घबराने की बजाये उसका solution खोजने का प्रयास करना चाहिए और कभी मुट्ठी भर मेढकों से घबराना नहीं चाहिए.
Tuesday, 18 February 2014
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Friday, 31 January 2014
ऐ पी जे अब्दुल कलाम के अनमोल विचार
Quote 1: "Climbing to the top demands strength, whether it is to the top of Mount Everest or to the top of your career."
In Hindi : "शिखर तक पहुँचने के लिए ताकत चाहिए होती है, चाहे वो माउन्ट एवरेस्ट का शिखर हो या आपके पेशे का."
अब्दुल कलाम Abdul Kalam
Quote 2: "Do we not realize that self respect comes with self reliance?"
In Hindi : क्या हम यह नहीं जानते कि आत्म सम्मान आत्म निर्भरता के साथ आता है ?
In Hindi : "कृत्रिम सुख की बजाये ठोस उपलब्धियों के पीछे समर्पित रहिये."
In Hindi : "अंग्रेजी आवश्यक है क्योंकि वर्तमान में विज्ञान के मूल काम अंग्रेजी में हैं. मेरा विश्वास है कि अगले दो दशक में विज्ञान के मूल काम हमारी भाषाओँ में आने शुरू हो जायेंगे, तब हम जापानियों की तरह आगे बढ़ सकेंगे."
अब्दुल कलाम Abdul Kalam
In Hindi : "भगवान, हमारे निर्माता ने हमारे मष्तिष्क और व्यक्तित्व में असीमित शक्तियां और क्षमताएं दी हैं. इश्वर की प्रार्थना हमें इन शक्तियों को विकसित करने में मदद करती है."
In Hindi : "मैं हमेशा इस बात को स्वीकार करने के लिए तैयार था कि मैं कुछ चीजें नहीं बदल सकता."
अब्दुल कलाम Abdul Kalam
In Hindi : "महान सपने देखने वालों के महान सपने हमेशा पूरे होते हैं."
In Hindi : "अगर किसी देश को भ्रष्टाचार – मुक्त और सुन्दर-मन वाले लोगों का देश बनाना है तो , मेरा दृढ़तापूर्वक मानना है कि समाज के तीन प्रमुख सदस्य ये कर सकते हैं. पिता, माता और गुरु."
Quote 9: "If we are not free, no one will respect us."
In Hindi : "यदि हम स्वतंत्र नहीं हैं तो कोई भी हमारा आदर नहीं करेगा."
अब्दुल कलाम Abdul Kalam
Quote 10: "In India we only read about death, sickness, terrorism, crime."
In Hindi : "भारत में हम बस मौत, बीमारी , आतंकवाद और अपराध के बारे में पढ़ते हैं."
अब्दुल कलाम Abdul Kalam
In Hindi : "आइये हम अपने आज का बलिदान कर दें ताकि हमारे बच्चों का कल बेहतर हो सके."
अब्दुल कलाम Abdul Kalam
In Hindi : "आकाश की तरफ देखिये. हम अकेले नहीं हैं. सारा ब्रह्माण्ड हमारे लिए अनुकूल है और जो सपने देखते हैं और मेहनत करते हैं उन्हें प्रतिफल देने की साजिश करता है.
In Hindi : "इंसान को कठिनाइयों की आवश्यकता होती है, क्योंकि सफलता का आनंद उठाने कि लिए ये ज़रूरी हैं."
In Hindi : "किसी भी धर्म में किसी धर्म को बनाए रखने और बढाने के लिए दूसरों को मारना नहीं बताया गया."
In Hindi : "मुझे बताइए , यहाँ का मीडिया इतना नकारात्मक क्यों है? भारत में हम अपनी अच्छाइयों, अपनी उपलब्धियों को दर्शाने में इतना शर्मिंदा क्यों होते हैं? हम एक महान राष्ट्र हैं. हमारे पास ढेरों सफलता की गाथाएँ हैं, लेकिन हम उन्हें नहीं स्वीकारते. क्यों?"
In Hindi : "अपने मिशन में कामयाब होने के लिए , आपको अपने लक्ष्य के प्रति एकचित्त निष्ठावान होना पड़ेगा."
अब्दुल कलाम Abdul Kalam
In Hindi : "इससे पहले कि सपने सच हों आपको सपने देखने होंगे"
Wednesday, 29 January 2014
अपनी समस्या को बढ़ाने की बजाय उसका समाधान ढूंढे।
एक राजकुमारी की आंख में कुछ समस्या हो गयी।यह समस्या थी तो मामूली सी, किन्तु चूँकि वह राजा की बेटी थी और पहली बार उसे कुछ समस्या हुयी थी, अतःउसे हल्का सा आंख का दर्द भी बहुत नागवार गुज़र रहा था।और, वह हर समय कराहती और रोती रहती थी। जब उसे कोई दवाई डालने को कहते, तो दवाई को फेंक देतीऔर बार-बार आंख को छूती थी। इस प्रकार उसकी समस्या ठीक होने के स्थान पर बढ़ती गयी और राजा बहुत परेशान हो गया।राजा ने घोषणा करवा दी कि जो भी उसकी बेटी को, राजकुमारी को, ठीक कर देगा, उसे भारी ईनाम दिया जाएगा।
कुछ समय पश्चात् एक आदमी आया जिसने अपने आपको एक प्रसिद्द चिकित्सक बताया किन्तु वास्तविकता में वह डॉक्टर था ही नहीं। उसने कहा कि वह निश्चित रूप से राजकुमारी को ठीक कर सकता था और इसलिए उसे राजकुमारी के कक्ष में उनका मुआइना करने भेज दिया गया। राजकुमारी का चेक अप करने के पश्चात् वह व्यक्ति चौंका और बोला," हे मेरे भगवान !यह तो बड़े दुःख की बात है।"
इस पर राजकुमारी बोली-- "डाक्टर साहब, क्या मैं ठीक हो जाऊंगी ? ""आपकी आंख में कोई खास समस्या तो है नहीं।वह तो ठीक हो जाएगी, किन्तु कुछ और बात है जो कि काफ़ी चिन्ताजनक है। " वह व्यक्ति बोला।
" ऐसी क्या बात है जो इतनी चिन्ताजनक है ? "
इस पर वह हिचकिचाते हुए बोला, "स्थिति सचमुच बहुत गंभीर है, राजकुमारी जी,और मुझे आपको इसके बारे में नहीं बताना चाहिए। " राजकुमारी गिड़गिडाती रही पर उस व्यक्ति ने कुछनहीं बताया।अंततः वह बोला कि महाराज यदि आज्ञा देदें तो वह बता देगा कि क्या समस्या है।जब महाराज आये तो भी उसने बताने में आनाकानी की किन्तु फ़िर महाराज ने आदेश दिया, " जो भी स्थिति हो, आप हमें स्पष्ट शब्दों में बताइए।" अन्ततः चिकित्सक बोला," ऐसा है, महाराज ! कि आँखों का दर्द ठीक होने में तो कोई समस्या नहीं है।वह तो जल्दी ही ठीक हो जाएगा।किन्तु गंभीर बात यह है कि राजकुमारी जी की जल्दी ही पूँछ निकलने लगेगी और वह पूँछ नौ मीटर लम्बी होगी। "
"जैसे ही राजकुमारी जी को आभास हो कि पूँछ निकलनी शुरू हो रही है, वे तुरंत बताएं तो मैं उसे बढ़नेसे रोकने का पूरा प्रयास करूंगा। "यह समाचार मिलते ही सब चिन्ताग्रस्त हो गए। और, राजकुमारी ने क्या किया ? वह बिस्तर पर लेट गयी और रात दिन उसका सारा ध्यान इस ओर लगा रहता था कि कहीं उसकी पूँछ तो नहीं निकल रही।
और, इस कारण कुछ ही दिनों में उसकी आंख बिलकुल ठीक हो गयी।
इससे हमें यह स्पष्ट होता है कि किस प्रकार हमअपनी छोटी-छोटी समस्याओं पर अपना पूरा ध्यान लगायेरहते हैं और अपने लक्ष्यों की अवहेलना करते रहते हैं।।छोटी-छोटी समस्याओं को राई का पहाड़ नहीं बना देना चाहिए।
तो आया समझ मे दोस्तों प्रॉब्लम को लेकर उदास ही ना बैठे रहे; बल्कि प्रॉब्लम से दिमाग हटाकर उसको खत्म करने का तरीका खोजने मे दिमाग लगायें। प्रॉब्लम अपने आप से ही खत्म हो जाएगी।
आपको ये स्टोरी कैसी लगी हमे जरुर बताएं और जयादा से जयादा शेयर करे।
धन्यवाद ।
Tuesday, 21 January 2014
Always wear Smile..
"I have many problems in my life
But
My lips don't know that,
They always keep smiling."
:- Charlie Chaplin
Sunday, 19 January 2014
बेकार के उपदेश घातक होते है

अब तक काफी पानी गिर चुका था , बन्दर बिलकुल भीग गया था और बुरी तरह काँप रहा था. इतने में सुगरी से रहा नहीं गया और वो फिर बोली ,
Thursday, 16 January 2014
हमेशा ‘हां’ कह कर अपनी खुशियों का गला न घोंटे
कई लोग ‘ना’ कह नहीं पाते. यह बहुत बड़ी समस्या है. इसे कमजोरी कहना ज्यादा उचित होगा. हम लोगों के काम करते जाते हैं, उनकी बातें मानते जाते हैं, अपनी खुशियों का गला घोंटते जाते हैं, सिर्फ इसलिए क्योंकि हमें ‘ना’ कहना नहीं आता. यह शब्द हम इसलिए नहीं बोल पाते, क्योंकि हम बदले में लोगों का प्यार चाहते
हैं, उनकी तारीफ चाहते हैं. हम चाहते हैं कि लोग हमें अपनाएं. इन चीजों के लालच में हम खुद के साथ अन्याय करते रहते हैं और सहनशक्ति की सीमा तक वो सारे काम करते हैं, जो हमें तकलीफ पहुंचाते हैं, हमें नाखुश करते हैं. हम यह काम सालों-साल करते हैं. जब लोग हर चीज में हमारी ‘हां’ सुनते हैं, तो बदले में हमें विनम्र, अच्छा, मददगार इनसान आदि नामों का ताज पहनाते हैं. लेकिन यदि हमारी सहनशक्ति 10 साल बाद टूट जाती है और हम 11वें साल में किसी काम को लेकर ‘ना’ कह देते हैं, तो वही लोग हमें अभिमानी, अहंकारी, बदतमीज कह देते हैं. वे हमारी 10 साल की मेहनत, त्याग, सेवा को तुरंत भूल जाते हैं. तब हमें लगता है कि काश उसी वक्त ‘ना’ बोल दिया होता.
मेरा कहना यह नहीं है कि आप हर चीज में ‘ना’ बोलना शुरू कर दें. कहना सिर्फ इतना है कि खुद से सवाल करें कि आपके लिए लोगों का प्यार, तारीफ ज्यादा मायने रखता है या आपकी खुद की खुशी, दिमाग की शांति? यदि आप किसी काम को करने से नाखुश हैं, तनाव में हैं, तो बेहतर है कि आप ‘ना’ कह दें. यह न सोचें कि सामनेवाला नाराज हो जायेगा, प्यार नहीं करेगा, फिर वह मुझसे ठीक से बात नहीं करेगा. याद रखें, लोगों को आप हमेशा खुश नहीं रख सकते हैं. आप हमेशा उनके मुताबिक नहीं चल सकते. यदि आप ऐसा करने की कोशिश करेंगे, तो कहीं न कहीं खुद के साथ अन्याय करेंगे.
दोस्तो, हम उन लोगों के नाराज होने से क्यों डरें, जिनकी राय पल भर में हमारे प्रति बदल जाती है. जो कल हमें विनम्र, प्यारा, अच्छा इनसान कह रहे थे, वह हमें अचानक अभिमानी, गुस्सैल, अहंकारी कहने लगे. आप केवल उन्हें ही अपना मानें, जो आपके ‘ना’ कहने के बावजूद भी आपसे प्यार करें. आपकी ‘ना’ कहने की वजह को समङों.
- बात पते की
* यदि कोई इनसान पहले आपकी हर बात पर ‘हां’ कहता था, लेकिन आज अचानक उसने ‘ना’ कह दिया, तो उस इनसान की परिस्थिति को समझें.
* दूसरों से प्यार, सम्मान पाने के लिए अपनी खुशियों का गला न घोंटें, क्योंकि ये छोटे-छोटे त्याग किसी दिन ज्वालामुखी बन कर फूट पड़ेंगे.