टूटा सा हूँ, बिखरा सा हूँ,
में एक जगह तनिक ठहरा सा हूँ,
तू तो कहती थी कि, मुझ जैसा कभी कोई होगा नही,
वादा था ना तेरा तो, की तू दूर मुझसे होगा नही,
तो क्या मैं बदल कर बेरंग हो गया,
या ये सारा जहां मुझसे ज्यादा खुशरंग हो गया,
तू तो सिर्फ मेरा था ना,
फिर क्यों किसी और का एक अभिन्न अंग हो गया।
टूटा सा हूँ, बिखरा सा हूँ,
में एक जगह तनिक ठहरा सा हूँ।।
समझ नही आता कि कैसा मोड़ है जिंदगी का,